Class 12 Political Science Notes in Hindi Chapter 2 Free PDF

Class 12 Political Science Notes in Hindi Chapter 2

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Political Science Class 12 Chapter 2 Notes in Hindi PDF

Objective Question (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)

1. भारत के पहले चुनाव आयुक्त थे-

(अ) सुकुमार सेन

(ब) पी.सी. जोशी

(स) ए.के. गोपालन

(द) सी. राजगोपालाचारी

उत्तर – (अ) सुकुमार सेन

2. 1948 में भारत के गवर्नर जनरल पद की शपथ किसने ली?

(अ) लॉर्ड माउंटबेटन

(ब) लॉर्ड रिपन

(स) सी. राजगोपालाचारी

(द) सुकुमार सेन

उत्तर – (स) सी. राजगोपालाचारी

3. भारतीय जनसंघ के संस्थापक थे-

(अ) अटल बिहारी वाजपेयी

(ब) श्यामाप्रसाद मुखर्जी

(स) मोरारजी देसाई

(द) उक्त तीनों संयुक्त रूप से

उत्तर – (ब) श्यामाप्रसाद मुखर्जी

4. स्वतंत्र भारत में पहले आम चुनाव हुए-

(अ) 1950 में

(ब) 1951 में

(स) 1952 में

(द) 1955 में

उत्तर – (स) 1952 में

5. 1952 के चुनावों में कुल मतदाताओं में से साक्षर मतदाताओं का प्रतिशत था-

(अ) 15 प्रतिशत

(ब) 25 प्रतिशत

(स) 30 प्रतिशत

(द) 35 प्रतिशत

उत्तर – (अ) 15 प्रतिशत

6. इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी के संस्थापक थे-

(अ) पं. दीनदयाल उपाध्याय

(ब) डॉ. बी. आर. अम्बेडकर

(स) सुभाषचन्द्र बोस

(द) श्यामाप्रसाद मुखर्जी

उत्तर – (ब) डॉ. बी. आर. अम्बेडकर

7. लोकसभा के पहले आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने कितनी सीटें जीतीं ?

(अ) 944

(ब) 364

(स) 969

(द) 464

उत्तर – (ब) 364

8. भारत में दलितों का मसीहा कहा जाता है-

(अ) गोपाल कृष्ण गोखले को

(ब) डॉ. बी.आर. अम्बडेकर को

(स) महात्मा गाँधी को

(द) राजा राममोहन राय को

उत्तर – (ब) डॉ. बी.आर. अम्बडेकर को

9. हमारा संविधान अंगीकृत किया गया-

(अ) 15 अगस्त 1947

(ब) 26 नवम्बर 1949

(स) 21 जनवरी 1950

(द) 26 जनवरी 1950

उत्तर – (ब) 26 नवम्बर 1949

10. हमारे संविधान पर हस्ताक्षर हुए-

(अ) 15 अगस्त 1947

(ब) 26 नवम्बर 1949

(स) 24 जनवरी 1950

(द) 26 जनवरी 1950

उत्तर – (स) 24 जनवरी 1950

11. स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य मंत्री थे-

(अ) राजकुमारी अमृतकौर

(ब) सुकुमार सेन

(स) डॉ. बी.आर. अम्बेडकर

(द) श्यामाप्रसाद मुखर्जी

उत्तर – (अ) राजकुमारी अमृतकौर

12. स्वतंत्र पार्टी का गठन किया-

(अ) पं. दीनदयाल उपाध्याय

(ब) सी. राजगोपालाचारी

(स) सुभाषचन्द्र बोस

(द) श्यामाप्रसाद मुखर्जी

उत्तर – (ब) सी. राजगोपालाचारी

13. पी.आर.आई. पार्टी के संस्थापक कौन थे?

(अ) प्लूटार्को

(ब) इलियास कैलास

(स) जॉन मथाई

(द) डि कोस्टा

उत्तर – (अ) प्लूटार्को

14. स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में संचार मंत्री कौन थे?

(अ) राजकुमारी अमृतकौर

(ब) सी. राजगोपालाचारी

(स) रफी अहमद किदवई

(द) सत्यनारायण सिन्हा

उत्तर – (स) रफी अहमद किदवई

15. पूरे देश में ई.वी.एम. का इस्तेमाल चालू हो गया था-

(अ) 1990 तक

(ब) 2001 तक

(स) 2004 तक

(द) 2005 तक

उत्तर – (स) 2004 तक

16. भारत रत्न से सम्मानित प्रथम भारतीय कौन थे ?

(अ) सी. राजगोपालाचारी

(ब) जवाहरलाल नेहरू

(स) इंदिरा गाँधी

(द) राममनोहर लोहिया

उत्तर – (अ) सी. राजगोपालाचारी

17. केरल की कम्युनिस्ट सरकार को 1959 में कांग्रेस सरकार द्वारा संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत बर्खास्त किया गया ?

(अ) अनुच्छेद 370

(ब) अनुच्छेद 356

(स) अनुच्छेद 352

(द) अनुच्छेद 360

उत्तर – (ब) अनुच्छेद 356

18. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इण्डिया भारत में पहली बार किस राज्य में सत्ता में आई?

(अ) मेघालय

(ब) केरल

(स) पंजाब

(द) आंध्र प्रदेश

उत्तर – (ब) केरल

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Short Answer Type Questions (लघूत्तरात्मक प्रश्न)

प्रश्न 19. उपनिवेशवाद से क्या अभिप्राय है?

उत्तर – वह विचारधारा जो एक शक्तिशाली राष्ट्र को दूसरे राष्ट्र के कुछ भाग पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने तथा उसके आर्थिक एवं प्राकृतिक संसाधनों का अपने लाभ के लिए उपयोग करने के लिए प्रेरित करती है, उपनिवेशवाद कहलाती है।

प्रश्न 20. भारत में लम्बे समय तक कांग्रेस के दलीय प्रभुत्व के लिए उत्तरदायी कारणों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए ।

उत्तर – भारत में लम्बे समय तक कांग्रेस के दलीय प्रभुत्व के लिए उत्तरदायी कारण निम्नलिखित थे-

(i) स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कांग्रेस के नेता लोगों के बीच अधिक लोकप्रिय थे।

(ii) कांग्रेस देश के हर कोने में और गाँव स्तर पर संगठित थी।

(iii) पंडित जवाहरलाल नेहरू का व्यक्तित्व करिश्माई था।

प्रश्न 21. भारत ही एकमात्र ऐसा देश नहीं है जो एक पार्टी के प्रभुत्व के दौर से गुजरा हो, संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- भारत अकेला ऐसा देश नहीं है जो एक दलीय प्रभुत्व के दौर से गुजरा है। दुनिया के कई देशों में हमें एक दलीय प्रभुत्व के कई उदाहरण मिल जाएंगे। चीन, क्यूबा, ​​सीरिया जैसे कुछ देशों में कैबिनेट में एक ही पार्टी को देश चलाने की अनुमति है। म्यांमार, मलेशिया और इरीट्रिया जैसे कुछ देशों में कानूनी और सैन्य उपायों के कारण एक दलीय प्रभुत्व स्थापित हो चुका है। कुछ साल पहले तक मैक्सिको, दक्षिण कोरिया और ताइवान भी एक दलीय प्रभुत्व वाले देश थे।

प्रश्न 22. क्या एकल पार्टी प्रभुत्व प्रणाली का भारतीय राजनीति के लोकतांत्रिक चरित्र पर खराब असर हुआ ?

उत्तर – एक दलीय प्रभुत्व प्रणाली के कारण कोई अन्य वैचारिक गठबंधन या दल उभर कर सामने नहीं आया जो एक सशक्त और संगठित विपक्ष की भूमिका निभा सके। इसके कारण मतदाताओं के पास कांग्रेस को समर्थन देने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। इसके अलावा एक दलीय प्रभुत्व के कारण प्रशासन की कार्यकुशलता में कमी आई और भ्रष्टाचार भी बढ़ा।

प्रश्न 23. दल-बदल से आप क्या समझते हैं?

उत्तर – जब कोई जनप्रतिनिधि किसी विशेष राजनीतिक दल के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ता है और चुनाव जीत जाता है तथा अपने स्वार्थ के लिए या किसी अन्य कारण से अपना दल छोड़कर किसी अन्य दल में शामिल हो जाता है तो उसे दलबदल कहा जाता है।

प्रश्न 24. डॉ. अम्बेडकर ने कांग्रेस पार्टी को एक सराय की संज्ञा क्यों दी?

उत्तर- क्योंकि कांग्रेस ने क्रांतिकारियों और शांतिवादियों, रूढ़िवादियों और कट्टरपंथियों, उग्रवादियों और उदारवादियों, दक्षिणपंथियों, वामपंथियों और मध्यमार्गियों को हर धारा में जगह दी। कांग्रेस ने एक मंच के रूप में भी काम किया जिस पर कई समूह, हित और यहां तक ​​कि राजनीतिक दल भी एकत्र हुए और राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया।

प्रश्न 25. निर्दलियों की बढ़ती संख्या एक चुनौती है। स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर – यदि किसी राजनीतिक दल को चुनाव में स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है, तो निर्दलिय (स्वतंत्र उम्मीदवारों) की भूमिका बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप, स्वतंत्र उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि हो रही है। ये स्वतंत्र उम्मीदवार भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति को बढ़ावा देते हैं। यह भारतीय दलीय व्यवस्था के हित में नहीं है।

प्रश्न 26. समाजवादी दलों और कम्युनिस्ट पार्टी के बीच तीन अंतर लिखिए ।

उत्तर- समाजवादी दलों और कम्युनिस्ट पार्टी के बीच निम्नलिखित अंतर हैं-

(i) समाजवादी दल लोकतांत्रिक विचारधारा में विश्वास करते हैं जबकि कम्युनिस्ट पार्टी सर्वहारा वर्ग के अधिनायकवाद में विश्वास करता है।

(ii) समाजवादी दल पूँजीपतियों और पूँजी का विरोध नहीं करते जबकि कम्युनिस्ट पार्टी पूँजीपतियों और पूँजीवाद का विरोध करते हैं।

(iii) समाजवादी दल अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए राज्यरूपी संस्था को रखना चाहते हैं जबकि कम्युनिस्ट पार्टी राज्य को समाप्त करने के पक्ष में है ।

प्रश्न 27. भारतीय जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी के बीच तीन अंतर लिखिए।

उत्तर-

भारतीय जनसंघस्वतंत्र पार्टी
(i) यह पार्टी सांस्कृतिक राष्ट्र-वाद पर जोर देती थी और एक राष्ट्र, एक देश और एक संस्कृति की विचार- धारा में विश्वास करती थी। यह धार्मिक और सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों को रियायतें देने की विरोधी थी।  यह पार्टी साम्प्रदायिक पार्टी या हिंदु राष्ट्रवादी पार्टी नहीं थी । यह सभी धार्मिक अल्प- संख्यकों का पक्ष लेती थी और उन्हें रियायतें देती थी।  
(ii) यह पार्टी बुनियादी उद्योगों पर राज्य नियंत्रण स्थापित करने में विश्वास करती थी।यह पार्टी अर्थव्यवस्था में राज्य के हस्तक्षेप के खिलाफ थी।  
(iii) यह पार्टी चीन और सोवियत विचारधारा और नीति के विरुद्ध थी।यह पार्टी सोवियत विचार-धारा के खिलाफ थी और चाहती थी कि भारत अमेरिका के साथ घनिष्ट सम्बन्ध बनाए।  

प्रश्न 28. विपक्षी दल से क्या अभिप्राय है?

उत्तर- वह दल जो सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों की कमियों को जनता के सामने लाकर उनकी आलोचना करता है, विपक्षी दल कहलाता है। सत्तारूढ़ दल के बाद यह दूसरे नंबर पर होता है। भारत में विपक्षी दल होने के लिए सदन में कुल सदस्यों की संख्या का कम से कम 1/10 हिस्सा होना चाहिए।

प्रश्न 29. साझा सरकारों के हुए परिणामों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर – साझा सरकारों के हुए परिणाम निम्नलिखित हैं-

(i) विभाजन व विघटन की प्रवृत्ति,

(ii) अवसरवादिता की प्रवृत्ति,

(iii) उत्तरदायित्व की प्रवृत्ति,

(iv) राजनीतिक दलों की नीतियों और कार्यक्रमों में अनिश्चितता और अस्पष्टता।

प्रश्न 30. आलोचक ऐसा क्यों सोचते थे कि भारत में चुनाव सफलतापूर्वक नहीं कराए जा सकेंगे ? किन्हीं दो कारणों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर – भारत में चुनाव सफलतापूर्वक सम्पन्न नहीं कराये जा सकने के सम्बन्ध में आलोचकों के निम्नलिखित तर्क थे-

(i) क्षेत्रफल और जनसंख्या की दृष्टि से भारत एक बड़ा देश है और शुरू से ही 21 वर्ष से अधिक आयु के सभी वयस्कों (पुरुष और महिला सहित) को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार दिया गया था। इतने बड़े निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था करना बहुत कठिन था।

(ii) भारत में अधिकांश मतदाता अशिक्षित थे, वे अपने मताधिकार का प्रयोग स्वतंत्र और बुद्धिमानी से कैसे कर सकते थे? लोगों को इस बात पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन यह महज एक भ्रम साबित हुआ।

प्रश्न 31. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा क्यों दिया?

उत्तर – श्यामाप्रसाद मुखर्जी एक महान देशभक्त और स्वतंत्रता सेनानी थे। वे मंत्रिमंडल (कैबिनेट असेंबली) के सदस्य थे। उन्होंने जनसंघ की स्थापना की थी। स्वतंत्रता के बाद, उन्हें पंडित जवाहरलाल नेहरू के पहले मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था, लेकिन पाकिस्तान के साथ संबंधों पर पंडित नेहरू के साथ मतभेदों के कारण, उन्होंने 1950 में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

प्रश्न 32. 1950 के दशक में विपक्षी दलों की मौजूदगी ने भारतीय शासन व्यवस्था के लोकतांत्रिक चरित्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इस कथन पर प्रकाश डालिए।

उत्तर – ‘1950 के दशक में विपक्षी दलों की मौजूदगी ने भारतीय शासन व्यवस्था के लोकतांत्रिक चरित्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।’ इस कथन की पुष्टि निम्नलिखित तथ्यों से की जा सकती है-

(i) विपक्षी दलों ने कांग्रेस पार्टी की नीतियों और व्यवहारों की आलोचना की। इन आलोचनाओं में सिद्धांतों का बल होता था ।

(ii) विपक्षी दलों ने शासक दल पर नियंत्रण रखा और इन दलों के कारण कांग्रेस पार्टी के भीतर शक्ति संतुलन बदला ।

(iii) इन दलों ने लोकतांत्रिक राजनीतिक विकल्प की संभावना को जीवंत बनाए रखा। ऐसा करके इन दलों ने व्यवस्थाजन्य रोष को लोकतंत्र विरोधी बनने से रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया।

(iv) इन दलों ने ऐसे नेता तैयार किए जिन्होंने आगे के समय में हमारे देश की तस्वीर को सँवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।

प्रश्न 33. अगर पहले आम चुनाव के बाद भारतीय जनसंघ अथवा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी होती तो किन मामलों में इस सरकार ने अलग नीति अपनाई होती ? इन दोनों दलों द्वारा अपनाई गई नीतियों के बीच तीन अन्तरों का उल्लेख करें।

उत्तर – भारतीय जनसंघ की विचारधारा और कार्यक्रम अन्य दलों से अलग थे। जनसंघ ने अपनी स्थापना से ही एक देश, एक संस्कृति और एक राष्ट्र के विचार पर बल दिया। इस पार्टी का विश्वास था कि देश को भारतीय संस्कृति और परम्परा के आधार पर आधुनिक, प्रगतिशील और ताकतवर बनाया जा सकता है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी देश की समस्याओं का समाधान साम्यवाद के माध्यम से करना चाहती थी । अतः ये दोनों दल अपनी सरकार बनने के बाद अपनी-अपनी नीति के अनुरूप कार्य करते ।

नीतियों में अंतर-

(i) भारतीय जनसंघ समस्त भारत में एक देश, एक संस्कृति और एक राष्ट्र के विचार का समर्थक था, वहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी देश की समस्याओं का साम्यवाद द्वारा करना चाहती थी। यह दल रूस की वोल्शेविक क्रांति से प्रेरित था । यह दल मार्क्सवाद पर आधारित समाजवाद का समर्थक था।

(ii) भारतीय जनसंघ ने भारतीय संस्कृति और परम्परा के आधार पर विकास योजनाओं और अर्थव्यवस्था को अपनाए जाने पर बल दिया, वहीं कम्युनिस्ट पार्टी पूर्णरूप से राज्य द्वारा नियंत्रित अर्थव्यवस्था और उत्पादन तथा वितरण पर सरकार के पूर्ण स्वामित्व की समर्थक थी।

(iii) भारतीय जनसंघ ने भारत और पाकिस्तान को सरकार से ‘अखण्ड भारत’ बनाने का विचार रखा, वहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी दोनों देशों को अलग-अलग राष्ट्र मानती थी।

प्रश्न 34. जनमत की कमजोरी के कारण भारत में एक पार्टी प्रभुत्व कायम हुआ। इस कथन की पुष्टि कीजिए ।

उत्तर – स्वतंत्रता के बाद के वर्षों में हमने अपने देश में एक पार्टी प्रभुत्व को देखा। पार्टी प्रभुत्व के कई कारण थे जिनमें उस समय जनमत की कमजोरी भी एक कारण था । इस कमजोरी ने एक पार्टी प्रभुत्व की स्थापना में योगदान दिया, जो निम्न प्रकार है-

(i) नव स्वतंत्र भारत में जनमत निर्माण के आधुनिक साधनों की संख्या बहुत कम थी, अतः लोगों में से अधिकांश एक पार्टी को वोट दिये।

(ii) भारत में सशक्त विपक्षी दल नहीं थे, जिनका जनमत निर्माण में प्रमुख योगदान होता है।

(iii) जनता का बहुत बड़ा भाग निरक्षर था, जो अपनी लोकतंत्र की यात्रा शुरू कर रहा था तथा लोगों को कांग्रेस पार्टी से बहुत आशाएँ थीं।

उपर्युक्त आधारों पर हम कह सकते हैं कि भारत में जनमत कमजोर था, जो विकासोन्मुख था। अतः देश में एक पार्टी प्रभुत्व के कायम होने में जनमत की कमजोरी एक महत्त्वपूर्ण कारण थी।

प्रश्न 35. बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के जीवन के बारे में लिखिए ।

उत्तर – संक्षिप्त परिचय एवं व्यक्तित्व- डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर का जन्म 1891 में एक दलित परिवार में हुआ था। उन्होंने देश में जाति-विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया और दलितों को न्याय दिलाने के संघर्ष में अग्रणी रहे। वे एक अत्यंत विद्वान और बौद्धिक व्यक्तित्व थे।

कार्य – बाबा साहब भीमराव रामजी अंबेडकर स्वतंत्र लेबर पार्टी के संस्थापक थे। बाद में उन्होंने अनुसूचित जाति संघ की स्थापना की। वे रिपब्लिकन पार्टी के गठन के सूत्रधार थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वे ब्रिटिश भारत के तत्कालीन वायसराय की परिषद के सदस्य थे। वे संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष भी थे जिसने देश के लिए संविधान का निर्माण किया।

स्वतंत्रता के बाद वे पंडित जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में मंत्री भी रहे। उन्होंने हिंदू कोड बिल के मुद्दे पर अपनी असहमति जताते हुए 1951 में नेहरू की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। अपने जीवन के अंतिम दिनों में उन्होंने अपने हजारों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया। 1956 में उनकी मृत्यु हो गई।

प्रश्न 36. भारत में लोकतंत्र स्थापित करने की चुनौती को समझाइये।

उत्तर – भारत में लोकतंत्र स्थापित करने की चुनौती- भारत में लोकतंत्र स्थापित करने की चुनौती निम्नलिखित कारणों से थी-

(i) विभिन्न धार्मिक राजनीतिक समूहों के मध्य एकता स्थापित करना – धार्मिक नेताओं के समक्ष लोकतंत्र की स्थापना हेतु विभिन्न राजनीतिक और धार्मिक समूहों के मध्य पारस्परिक एकता की भावना को विकसित करने की चुनौती थी ।

(ii) निष्पक्ष चुनावों की व्यवस्था करना- भारत के विशाल आकार को देखते हुए निष्पक्ष चुनावों की व्यवस्था करना भी एक गम्भीर चुनौती थी। चुनाव क्षेत्रों का सीमांकन करके, मताधिकार प्राप्त वयस्क व्यक्तियों की सूची बनाना भी आवश्यक था। मतदाताओं में केवल 15 प्रतिशत साक्षर थे। 1952 के चुनाव में 50 प्रतिशत मतदाताओं ने मत डाला।

ये चुनाव निष्पक्ष सम्पन्न हुए। इस प्रकार, भारत लोकतंत्र स्थापित करने में सफल रहा।

Essay Question (निबन्धात्मक प्रश्न)

प्रश्न 37. कांग्रेस किन अर्थों में एक विचारधारात्मक गठबन्धन थी ? कांग्रेस में मौजूद विभिन्न विचारधारात्मक उपस्थितियों का उल्लेख करें।

उत्तर- भारत को स्वतंत्रता मिलने तक कांग्रेस एक गठबंधन का रूप ले चुकी थी और सभी प्रकार की विचारधाराओं का समर्थन करने वाले विचारक और समूह कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कांग्रेस को निम्नलिखित अर्थों में एक विचारधारा का गठबंधन कहा जा सकता है-

(i) शुरू से ही कई समूहों ने खुद को कांग्रेस के साथ जोड़ा। कई बार एक समूह खुद को कांग्रेस के साथ नहीं जोड़ता था और एक व्यक्ति या समूह के रूप में कांग्रेस के भीतर ही रहता था, अपनी खुद की मान्यताओं का पालन करता था। इस अर्थ में कांग्रेस एक वैचारिक गठबंधन थी।

(ii) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना 1924 में हुई थी। सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया। यह पार्टी 1942 तक कांग्रेस के एक गुट के रूप में काम करती रही। 1942 में सरकार ने इस गुट पर से प्रतिबंध हटा दिया ताकि इसे कांग्रेस से अलग किया जा सके। कांग्रेस में शांतिवादियों और क्रांतिकारियों, रूढ़िवादियों और सुधारवादियों, उग्रवादियों और उदारवादियों, दक्षिणपंथियों और वामपंथियों और मध्यमार्गियों को हर धारा में जगह मिली।

(iii) कांग्रेस ने समाजवादी समाज की स्थापना को अपना लक्ष्य बनाया। इसी कारण स्वतंत्रता के पश्चात अनेक समाजवादी दल बने, लेकिन विचारधारा के आधार पर वे अपनी स्वतंत्र पहचान स्थापित नहीं कर सके और कांग्रेस के प्रभुत्व और वर्चस्व को हिला नहीं सके। इस प्रकार कांग्रेस एक ऐसा मंच था, जिस पर अनेक हित समूह और राजनीतिक दल एकत्रित हुए और राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया। स्वतंत्रता से पूर्व अनेक संगठनों और दलों को कांग्रेस में बने रहने की अनुमति थी।

(iv) कांग्रेस में कई समूह थे जिनके अपने स्वतंत्र संविधान और अलग संगठनात्मक ढाँचा था, जैसे कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी। फिर भी उन्हें कांग्रेस में एक समूह के रूप में रखा गया। वर्तमान में, विभिन्न पार्टियाँ गठबंधन बनाती हैं और सत्ता हासिल करने की कोशिश करती हैं; जबकि आज़ादी के समय कांग्रेस खुद विचारों का गठबंधन थी, लेकिन एक धारा थी।

कांग्रेस में मौजूद विभिन्न विचारधारात्मक उपस्थितियाँ जहाँ तक कांग्रेस में मौजूद विभिन्न विचारधारात्मक उपस्थिति के उल्लेख का सम्बन्ध है, इसके लिए निम्नलिखित तथ्य प्रस्तुत किए जा सकते हैं-

(i) कांग्रेस पार्टी की स्थापना 1885 में हुई थी। उस समय पार्टी में अंग्रेजी पढ़े-लिखे, उच्च जाति वर्ग, उच्च मध्यम वर्ग और शहरी बुद्धिजीवियों का वर्चस्व था, जिनका उद्देश्य सरकार और जनता के बीच कड़ी का काम करना था, लेकिन धीरे-धीरे पार्टी ने अपना सामाजिक आधार बढ़ाना शुरू कर दिया। इसने एक लोकतांत्रिक राजनीतिक पार्टी का रूप ले लिया और राजनीतिक व्यवस्था में अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया।

(ii) भारत में कांग्रेस पर शहरी उच्च वर्ग के लोगों का वर्चस्व था जो अंग्रेजी संस्कृति में विश्वास करते थे, लेकिन जब भी कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा जैसे आंदोलन शुरू किए, तो उसका सामाजिक आधार बढ़ा। कांग्रेस ने आपसी हितों वाले कई समूहों को एक साथ लाया। किसान और उद्योगपति, शहरवासी और ग्रामीण, मजदूर और बड़े किसान, मध्यम, निम्न और उच्च वर्ग आदि सभी को कांग्रेस में जगह मिली।

(iii) धीरे-धीरे कांग्रेस का नेतृत्व विस्तृत होता गया और यह उच्च वर्ग या जाति के पेशेवरों तक सीमित नहीं रहा। इसमें कृषि और किसानों की तरफ से बोलने वाले और ग्रामीण रुझान वाले नेता भी उभरे। आजादी के समय तक कांग्रेस एक सामाजिक गठबंधन का रूप ले चुकी थी और यह सामाजिक गठबंधन जाति, वर्ग, धर्म, भाषा और अन्य हितों के आधार पर भारत की विविधता को दर्शाता था।

प्रश्न 38. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।

उत्तर- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कार्यक्रम- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को आम तौर पर कांग्रेस पार्टी कहा जाता है और यह दुनिया की सबसे पुरानी पार्टियों में से एक है। कांग्रेस की स्थापना 1885 में हुई थी। इसकी स्थापना ए.ओ. ह्यूम ने की थी। यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ही थी जिसने जन आंदोलन के लिए मंच तैयार किया। अपने शुरुआती स्वरूप में, कांग्रेस केवल नव शिक्षित, कामकाजी और व्यापारी वर्गों का एक हित समूह थी, लेकिन बीसवीं सदी में इसने एक जन आंदोलन का रूप ले लिया। एक कारण से, कांग्रेस ने एक जन राजनीतिक पार्टी का रूप ले लिया और राजनीतिक व्यवस्था में इसका प्रभुत्व स्थापित हो गया।

आज़ादी के बाद कई दशकों तक इसने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर प्रमुख भूमिका निभाई। पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में इस पार्टी ने भारत को एक आधुनिक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने का प्रयास किया। इस पार्टी ने 1977 तक और फिर 1980 से 1989 तक लगातार देश पर शासन किया। 1989 के बाद इस पार्टी का जनसमर्थन कम होता गया। इस पार्टी ने 2004 से 2014 तक संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया। 2014, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में इस पार्टी की हार हुई।

जन समर्थन की कमी के बावजूद इस पार्टी का देश भर में और समाज के सभी वर्गों में अभी भी आधार है। अपनी वैचारिक प्रवृत्ति में मध्यमार्गी (न वामपंथी, न दक्षिणपंथी) इस पार्टी ने धर्मनिरपेक्षता और कमज़ोर वर्गों तथा अल्पसंख्यक समुदायों के हितों को अपना मुख्य एजेंडा बनाया है। यह पार्टी नई आर्थिक नीतियों की समर्थक है और इस बात के प्रति भी सचेत है कि इन नीतियों का ग़रीबों और कमज़ोर वर्गों पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

कांग्रेस पार्टी सामाजिक समानता, स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता और समान अवसर पर जोर देती है। इसकी राजनीतिक स्थिति आम तौर पर बीच में मानी जाती है। ऐतिहासिक रूप से पार्टी ने किसानों, श्रमिकों और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का प्रतिनिधित्व किया है। कांग्रेस पार्टी महात्मा गांधी के ‘सर्व धर्म समभाव’ के सिद्धांत का समर्थन करती है, जिसे इसके सदस्य धर्मनिरपेक्षता के रूप में देखते हैं।

कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों की आर्थिक नीति के इतिहास को दो चरणों में विभाजित किया जा सकता है। पहला चरण स्वतंत्रता से लेकर 1991 तक चला और इसमें सार्वजनिक क्षेत्र पर बहुत ज़ोर दिया गया। दूसरा चरण 1991 में आर्थिक उदारीकरण के साथ शुरू हुआ। वर्तमान में, कांग्रेस एक मिश्रित अर्थव्यवस्था का समर्थन करती है जिसमें निजी क्षेत्र और राज्य दोनों अर्थव्यवस्था का मार्गदर्शन करते हैं, जो बाज़ार और नियोजित अर्थव्यवस्थाओं की विशेषताओं को दर्शाता है। कांग्रेस आयात प्रतिस्थापन औद्योगीकरण का समर्थन करती है। आयात को घरेलू उत्पादन द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए और विकास को गति देने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को उदार बनाया जाना चाहिए।

प्रश्न 39. पहले आम चुनाव से लेकर अब तक मतदान के तरीकों ने क्या-क्या बदलाव आए हैं? विस्तार से लिखिए।

उत्तर – पहले आम चुनाव से लेकर वर्तमान तक मतदान के तरीकों में निम्नलिखित बदलाव आए हैं-

(1) प्रत्येक उम्मीदवार के लिए एक मतपेटी रखना – पहले के चुनावों में, प्रत्येक मतदान केंद्र पर प्रत्येक उम्मीदवार के लिए एक मतपेटी रखी जाती थी और उस मतपेटी पर उम्मीदवार का चुनाव चिन्ह अंकित होता था। प्रत्येक मतदाता को एक खाली मतपत्र दिया जाता था और वह उसे अपनी पसंद के उम्मीदवार के लिए मतपेटी में डालता था। इस उद्देश्य के लिए स्टील के बक्से का उपयोग किया जाता था।

प्रत्येक मतपेटी के अंदर और बाहर उम्मीदवार का चुनाव चिन्ह अंकित था। मतपेटी के बाहर एक तरफ उर्दू, हिंदी और पंजाबी में उम्मीदवार का नाम लिखा हुआ था। इसके साथ ही निर्वाचन क्षेत्र, चुनाव केंद्र और मतदान केंद्र संख्या भी दर्ज की गई थी। पीठासीन अधिकारी के हस्ताक्षर के साथ उम्मीदवार का विवरण वाला एक कागज मतपेटी में डालकर सील कर दिया गया था।

उसके बाद मतपेटी के ढक्कन को तार की सहायता से बांधकर उसी स्थान पर सील कर दिया गया था। यह सारा काम चुनाव की तय तिथि से एक दिन पहले किया गया था। चुनाव चिन्ह और बाकी विवरण दर्ज करने के लिए सबसे पहले मतपेटी को ग्लू पेपर या ईंट के टुकड़े से रगड़ा गया था। इस काम में बहुत लंबा समय लगा।

(2) प्रत्येक मतपत्र और सामान्य मतपेटी पर प्रत्येक उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिन्ह- पहले दो चुनावों के बाद इस पद्धति को बदल दिया गया। अब प्रत्येक उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिन्ह मतपत्र पर छपा होता था। मतदाता को इस मतपत्र पर अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम पर मुहर लगानी होती थी। यह पद्धति अगले चालीस वर्षों तक जारी रही।

(3) इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ई.वी.एम.) का प्रयोग- 1990 के दशक के अंत में चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ई.वी.एम.) का प्रयोग शुरू किया। 2004 तक पूरे देश में ई.वी.एम. का प्रयोग शुरू हो गया। इस मशीन का प्रयोग करने वाले उम्मीदवार अपनी पसंद के उम्मीदवार चुनते हैं और प्रत्येक उम्मीदवार अपनी पसंद के बगल में स्थित किसी एक बटन को दबाता है, जिसे वह वोट देना चाहता है। बटन दबाने पर ‘पी’ जैसी लम्बी बीप ध्वनि सुनाई देती है और मतदान हो जाता है।

मतदान के लिए इस मशीन को दूसरे उम्मीदवार को पुनः चालू करना पड़ता है। वस्तुतः दोहरा मतदान भी संभव नहीं है। साथ ही भाषा अध्ययन में लगने वाला समय भी बच जाता है। मैट पेपर्स और मैट बॉक्स आदि में प्रयुक्त होने वाले कागज की लागत बच जाती है। चुनाव समाप्त हो जाने पर ई.वी.एम. को अगले चुनाव में प्रयोग के लिए सुरक्षित रख लिया जाता है।

प्रश्न 40. सुमेलित कीजिए-

(अ) दूसरी पंचवर्षीय योजना के योजनाकार(1) बलराम मधोक
(ब) जनसंघ के एक नेता(2) मौलाना अबुल कलाम आजाद
(स) कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इण्डिया के एक नेता(3) पी.सी. महानलोबिस
(द) हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतिपादक(4) ए.के. गोपालन

उत्तर – (अ) – (3), (ब) – (1), (स) – (4), (द) – (2)।

(अ) दूसरी पंचवर्षीय योजना के योजनाकार(3) पी.सी. महानलोबिस
(ब) जनसंघ के एक नेता(1) बलराम मधोक
(स) कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इण्डिया के एक नेता(4) ए.के. गोपालन
(द) हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतिपादक(2) मौलाना अबुल कलाम आजाद

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