Class 12 Political Science Question Paper 2025
RBSE Model Paper/Sample Paper 2025 Class 12 PDf, Board Sample Question Paper 2025 Class 12 Political Science with Solution (बोर्ड नमूना प्रश्न-पत्र 2025 कक्षा 12 राजनीति विज्ञान हल सहित) Class 12th Political Science (राजनीति विज्ञान) Most important Questions.
खण्ड – (अ) Multiple Choice Questions
1. Multiple Choice Questions (बहुविकल्पात्मक प्रश्न) – (i से xviii)
(i) सोवियत राजनीतिक प्रणाली किस विचारधारा पर आधारित थी ?
(अ) समाजवाद
(ब) पूँजीवाद
(स) समाजवाद एवं पूँजीवाद
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (अ) समाजवाद
(ii) इनमें से किसने ‘खुले द्वार की नीति’ अपनाई ?
(अ) दक्षिण कोरिया
(ब) चीन
(स) जापान
(द) अमेरिका
उत्तर – (ब) चीन
(iii) ‘हान नदी पर चमत्कार’ का सम्बन्ध किस देश से है?
(अ) दक्षिण कोरिया
(ब) उत्तरी कोरिया
(स) जापान
(द) अमेरिका
उत्तर – (अ) दक्षिण कोरिया
(iv) आसियान-भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र व्यवस्था कब लागू हुई ?
(अ) 1967 में
(ब) 2010 में
(स) 2020 में
(द) 2024 में
उत्तर – (ब) 2010 में
(v) गंगा नदी के पानी में हिस्सेदारी के मसले पर भारत और बांग्लादेश के बीच किस संधि पर हस्ताक्षर हुए-
(अ) फरक्का
(ब) नमामि गंगे
(स) सिंधु
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (अ) फरक्का
(vi) ‘संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद्’ में स्थायी सदस्यों की संख्या कितनी है?
(अ) 4
(ब) 5
(स) 6
(द) 7
उत्तर – (ब) 5
(vii) ‘सुरक्षा’ का बुनियादी अर्थ है-
(अ) खतरा
(ब) खतरे में आजादी
(स) युद्ध
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ब) खतरे में आजादी
(viii) ‘पृथ्वी सम्मेलन’ किस वर्ष में सम्पन्न हुआ ?
(अ) 1990
(ब) 1991
(स) 1992
(द) 1993
उत्तर – (स) 1992
(ix) किस प्रौद्योगिकी ने राष्ट्रवाद की आधारशिला रखी?
(अ) टेलीग्राफ
(ब) टेलीफोन
(स) माइक्रोचिप
(द) छपाई (मुद्रण) तकनीक
उत्तर – (द) छपाई (मुद्रण) तकनीक
(x) ‘देशी रियासतों के एकीकरण’ में किसने अहम् भूमिका निभाई?
(अ) सरदार वल्लभ भाई पटेल
(ब) गोपाल कृष्ण गोखले
(स) जवाहर लाल नेहरू
(द) महात्मा गांधी
उत्तर – (अ) सरदार वल्लभ भाई पटेल
(xi) ‘भारतीय जनसंघ’ का गठन कब हुआ?
(अ) 1950
(ब) 1951
(स) 1952
(द) 1953
उत्तर – (ब) 1951
(xii) ‘ऑपरेशन फ्लड’ का सम्बन्ध है ?
(अ) दूध उत्पादन
(ब) कृषि उत्पादन
(स) बाढ़ नियन्त्रण
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (अ) दूध उत्पादन
(xiii) भारत-चीन युद्ध कब हुआ था?
(अ) 1961
(ब) 1962
(स) 1963
(द) 1964
उत्तर – (ब) 1962
(xiv) भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के जनरल अयूब खान के मध्य 1966 में कौन-सा समझौता हुआ था?
(अ) ताशकंद समझौता
(ब) शिमला समझौता
(स) कारगिल समझौता
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (अ) ताशकंद समझौता
(xv) ‘जय जवान-जय किसान’ का नारा किसने दिया था?
(अ) जवाहरलाल नेहरू
(ब) लाल बहादुर शास्त्री
(स) सरदार वल्लभभाई पटेल
(द) इंदिरा गांधी
उत्तर – (ब) लाल बहादुर शास्त्री
(xvi) राम मनोहर लोहिया संस्थापक संपादक थे-
(अ) मैनकाइंड
(ब) यंग इंडिया
(स) केसरी
(द) मराठा
उत्तर – (अ) मैनकाइंड
(xvii) ‘मिजो नेशनल फ्रंट’ के संस्थापक कौन थे ?
(अ) लाल डेंगा
(ब) फिजो
(स) खांगसरपा
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (अ) लाल डेंगा
(xviii) भारत में गठबंधन की राजनीति का दौर आरम्भ हुआ-
(अ) 1989
(ब) 1995
(स) 2004
(द) 2014
उत्तर – (अ) 1989
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Fill in the blanks (रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए) – (i से vi)
(i) वर्ष 2007 में ………….. दक्षेस का सदस्य बना।
उत्तर – अफगानिस्तान
(ii) 18वाँ दक्षेस सम्मेलन ………….. नेपाल में हुआ।
उत्तर – नवंबर, 2014 में
(iii) सुरक्षा नीति का संबंध युद्ध की आशंका को रोकने में होता है जिसे ………… कहा जाता है।
उत्तर – निवारण
(iv) भारत ने वर्ष ………… में क्योटो प्रोटोकॉल (1997) पर हस्ताक्षर किए।
उत्तर – 2002
(v) भारत सरकार ने योजना आयोग के स्थान पर एक नई संस्था ………… की स्थापना की।
उत्तर – नीति आयोग
(vi) जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम वर्ष ……………. में बना था।
उत्तर – 2019
Very Short Answer type Questions (अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न) (i से xii)
(निम्न प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक पंक्ति में दीजिए।)
(i) बाल्टिक गणराज्य में कौन-कौन से देश शामिल हैं?
उत्तर- एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया।
(ii) सार्क (SAARC) का पूरा नाम क्या है?
उत्तर – दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन।
(iii) ‘शरणार्थी’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – वे व्यक्ति या समूह जो युद्ध, प्राकृतिक आपदा व राजनीतिक उत्पीड़न अथवा किसी अन्य संघर्ष के कारण अपना देश या निवास स्थान छोड़कर दूसरे देशों में जाने को मजबूर होते हैं, उन्हें शरणार्थी कहा जाता है।
(iv) भारत में ‘पावन वन प्रांतर’ का अर्थ क्या है?
उत्तर – यह एक ऐसी प्रथा है जिसमें वनों के कुछ भागों को काटा नहीं जाता है। इनमें देवता या अन्य किसी पुण्यात्मा का वास माना जाता है। इन्हें ‘पावन वन प्रांतर’ कहते हैं।
(v) ‘मैक्डोनॉल्डीकरण’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – दुनिया के मैक्डोनॉल्डीकरण का मतलब है कि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसी कुछ शक्तिशाली ताकतों का सांस्कृतिक प्रभाव पूरी दुनिया पर लगातार बढ़ रहा है। मैक्डोनॉल्डीकरण के तहत, दुनिया वैसी बन रही है जैसी अमेरिकी सांस्कृतिक जीवनशैली चाहती है।
(vi) पहली पंचवर्षीय योजना में ज्यादा जोर किस क्षेत्र पर दिया गया?
उत्तर – कृषि पर अधिक बल दिया गया था।
(vii) ‘इंडियन नेशनल आर्मी’ का गठन किसने किया था ?
उत्तर – कैप्टन मोहन सिंह ने।
(viii) 1967 के चौथे आम चुनाव के परिणामों को ‘राजनीतिक भूकम्प’ की संज्ञा क्यों दी गई थी?
उत्तर – 1967 के चुनावों ने राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर कांग्रेस को चौंका दिया। इसके वोट शेयर और विभागों में भारी गिरावट आई। इंदिरा गांधी की पार्टी के अन्य मंत्री चुनाव हार गए। कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने चुनाव परिणामों को ‘राजनीतिक भूकंप’ या ‘राजनीतिक भूचाल’ करार दिया।
(ix) आसू (AASU) की कोई दो माँगें बताइये।
उत्तर – (i) 1951 के बाद असम में आकर बसे लोगों को बाहर भेजा जाए।
(ii) मतदाता सूची में बाहरी व्यक्तियों के नाम न जोड़े जाएँ।
(x) राजग (NDA) गठबंधन का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर – राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन।
(xi) भारत के किन्हीं दो क्षेत्रीय दलों के नाम बताइए।
उत्तर – समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल।
(xii) मंडल आयोग की कोई दो सिफारिशें बताइये।
उत्तर – (i) केन्द्र सरकार की नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण प्रदान किया जायेगा। (ii) पिछड़ा वर्ग की स्थिति सुधारने के लिए भूमि सुधारों को तीव्र किया जायेगा।
खण्ड – (ब) Short Answer Type Questions
Short Answer Type Questions (लघूत्तरात्मक प्रश्न) (उत्तर सीमा लगभग 50 शब्द)
प्रश्न 4. ‘भारत और नेपाल’ के बीच सम्बन्धों पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर – भारत और नेपाल इतने घनिष्ठ और परिचित पड़ोसी देश हैं कि कई बार लोग नेपाल को विदेशी देश मानने को तैयार नहीं होते। नेपाल एकमात्र ऐसा विदेशी देश है जिसके नागरिक भारतीय सेना में भर्ती हो सकते हैं। नेपाल भारत के उत्तर में स्थित है। सांस्कृतिक, धार्मिक और भौगोलिक दृष्टि से इसके भारत के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। 1983 के गुटनिरपेक्ष सम्मेलन में नेपाल के राजा ने भारत की विदेश नीति का समर्थन किया था। 1991 में भारत और नेपाल के बीच पाँच समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। 1996 में महाकाली बेसिन विकास परियोजना के निर्माण के संबंध में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
प्रश्न 5. ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – एमनेस्टी इंटरनेशनल एक स्वैच्छिक (Voluntary) संगठन है जो पूरी दुनिया में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए अभियान चलाता है। यह संगठन मानवाधिकारों से जुड़ी रिपोर्ट तैयार करता है और उन्हें प्रकाशित करता है। मानवाधिकारों से जुड़े शोध में ये रिपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
प्रश्न 6. भारत की सुरक्षा रणनीति के कोई दो घटक विस्तार से बताएँ।
उत्तर – एशिया महाद्वीप में भारत एक महत्वपूर्ण देश है। भारत पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों तरह के खतरों का सामना कर रहा है। ये खतरे सीमा के भीतर से भी उभरे हैं और बाहर से भी। इसे ध्यान में रखते हुए भारत ने सुरक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। भारत ने अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत किया है। चूंकि दक्षिण एशिया में भारत के आसपास परमाणु हथियार संपन्न देश हैं, इसलिए भारत ने भी परमाणु हथियार बनाए हैं। भारत ने सुरक्षा की दृष्टि से अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और कानूनों को और अधिक प्रभावी बनाने का प्रयास किया है।
प्रश्न 7. ‘क्योटो प्रोटोकॉल’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – पर्यावरण संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों के परिणामस्वरूप क्योटो प्रोटोकॉल को मान्यता दी गई थी। औद्योगिक रूप से विकसित देश पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए अपने उद्योगों द्वारा उत्सर्जित जहरीली गैसों के अनुपात को एक निर्धारित सीमा तक कम करने पर सहमत हुए। उत्तरी गोलार्ध के ऐसे विकसित देश अपने कारखानों द्वारा उत्सर्जित ग्रीनहाउस प्रभाव गैसों के अनुपात को कम करने के लिए व्यक्तिगत रूप से काम करेंगे।
इस अंतरराष्ट्रीय समझौते पर 1997 में जापानी शहर क्योटो में हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते के दौरान जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) द्वारा निर्धारित मानकों को स्वीकार किया गया था।
प्रश्न 8. ‘हरित क्रान्ति’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – हरित क्रांति का संबंध कृषि प्रक्रिया से है। स्वतंत्रता के बाद अनाज संकट को दूर करने के लिए कृषि उत्पादन में तेजी से वृद्धि करने की प्रक्रिया को ‘हरित क्रांति’ के नाम से जाना जाता है। इसके माध्यम से उन्नत बीजों, मशीनीकरण और रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से खाद्यान्न उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई।
प्रश्न 9. निम्नलिखित का सही जोड़ा मिलाएँ-
(अ) 1950-64 के दौरान भारत की विदेश नीति का लक्ष्य | (i) तिब्बत के धार्मिक नेता जो सीमा पार करके भारत चले आए। |
(ब) पंचशील | (ii) क्षेत्रीय अखण्डता और सम्प्रभुता की रक्षा तथा आर्थिक विकास। |
(स) बांडुंग सम्मेलन | (iii) शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व के पाँच सिद्धान्त । |
(द) दलाई लामा | (iv) इसकी परिणति गुटनिरपेक्ष आन्दोलन में हुई। |
उत्तर – (अ) – (ii), (ब) – (iii), (स) – (iv), (द) – (i)
(अ) 1950-64 के दौरान भारत की विदेश नीति का लक्ष्य | (ii) क्षेत्रीय अखण्डता और सम्प्रभुता की रक्षा तथा आर्थिक विकास। |
(ब) पंचशील | (iii) शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व के पाँच सिद्धान्त । |
(स) बांडुंग सम्मेलन | (iv) इसकी परिणति गुटनिरपेक्ष आन्दोलन में हुई। |
(द) दलाई लामा | (i) तिब्बत के धार्मिक नेता जो सीमा पार करके भारत चले आए। |
प्रश्न 10. ‘सिंडिकेट’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – सिंडिकेट –‘सिंडिकेट’ कांग्रेस के भीतर शक्तिशाली और प्रभावशाली नेताओं का एक समूह था। इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में ‘सिंडिकेट’ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह वही समूह था जिसने यह सुनिश्चित किया कि इंदिरा गांधी कांग्रेस संसदीय दल की नेता चुनी जाएं। सिंडिकेट के नेताओं को उम्मीद थी कि इंदिरा गांधी उनकी सलाह पर ध्यान देंगी।
प्रश्न 11. ‘प्रेस सेंसरशिप’ का क्या अर्थ है?
उत्तर – प्रेस सेंसरशिप – आपातकालीन प्रावधानों के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सरकार ने प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा दिए। अखबारों से कहा गया कि कुछ भी छापने से पहले सरकार से अनुमति लेना ज़रूरी है। इसे ‘प्रेस सेंसरशिप’ के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 12. पूर्वोत्तर के राज्यों में राजनीति पर किन्हीं दो प्रमुख मुद्दों के बारे में बताइये ।
उत्तर – (i) बाहरी आप्रवासियों के बसाव, नागरिकता सम्बन्धी मुद्दा ।
(ii) भाषायी विविधता रूपी मुद्दा ।
प्रश्न 13. भारत में ‘गठबंधन की राजनीति’ पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर – भारत में ‘गठबंधन की राजनीति’ – ऐसी राजनीति जिसमें सरकार गठन या अन्य मामलों (जैसे राष्ट्रपति चुनाव) के संबंध में चुनाव से पहले या बाद में आवश्यकतानुसार दलों के बीच आपसी सहमति बन जाती है और वे आमतौर पर एक स्वीकृत न्यूनतम साझा कार्यक्रम के अनुसार राज्य में राजनीति चलाते हैं, तो उसे ‘गठबंधन की राजनीति’ कहा जाता है।
खण्ड – (स) Long Answer Type Questions
Long Answer Type Questions (दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न) (उत्तर सीमा लगभग 100 शब्द)
प्रश्न 14. दक्षिणी पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन (आसियान) पर टिप्पणी लिखिए ।
अथवा
1970 के बाद चीनी अर्थव्यवस्था में आये परिवर्तनों पर टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर – आसियान की स्थापना – दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन (आसियान) की स्थापना 1967 में बैंकॉक में हुई थी। इस संगठन के शुरुआती सदस्य इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड थे। बाद में ब्रुनेई, दारुस्सलाम, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया भी आसियान में शामिल हो गए। वर्तमान में इसकी सदस्य संख्या 10 है। इसका मुख्यालय जकार्ता (इंडोनेशिया) में है।
आसियान की प्रमुख विशेषताएँ – आसियान की प्रमुख संस्थाओं में आसियान सुरक्षा समुदाय, आर्थिक आसियान समुदाय एवं आसियान सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय आदि हैं; जिनका विवरण निम्नलिखित है—
(i) आसियान सुरक्षा समुदाय – आसियान सुरक्षा समुदाय क्षेत्रीय विवादों को सैन्य टकराव में न बदलने की आम सहमति पर आधारित है। 2003 तक, आसियान के सदस्य देशों ने कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके माध्यम से प्रत्येक देश ने शांति, सहयोग, तटस्थता और गैर-हस्तक्षेप को बढ़ावा देने और राष्ट्रों के आपसी मतभेदों और संप्रभुता के अधिकारों का सम्मान करने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। 1994 में, आसियान देशों की सुरक्षा और विदेश नीतियों के समन्वय के लिए आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना की गई थी।
(ii) आसियान आर्थिक समुदाय – आसियान आर्थिक समुदाय का उद्देश्य आसियान देशों के लिए एक साझा बाजार और उत्पादन आधार तैयार करना तथा क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास में सहायता करना है। यह संगठन इस क्षेत्र के देशों के बीच आर्थिक विवादों को सुलझाने के लिए बनाई गई मौजूदा व्यवस्था में भी सुधार करना चाहता है। आसियान ने निवेश, श्रम और सेवाओं के संबंध में एक मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने पर भी ध्यान केंद्रित किया है। अमेरिका और चीन ने इस प्रस्ताव पर आसियान के साथ बातचीत शुरू कर दी है।
(iii) आसियान सामाजिक–सांस्कृतिक समुदाय – आसियान का यह समुदाय संबंधित देशों में शैक्षिक विकास, सामाजिक कल्याण, जनसंख्या नियंत्रण, संचार और सांस्कृतिक गतिविधियों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है।
आसियान का विज़न दस्तावेज 2020 – दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन (आसियान) के विज़न दस्तावेज 2020 की व्याख्या इस प्रकार से है-
(i) आसियान के विजन दस्तावेज 2020 में अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में आसियान की एक बहिर्मुखी भूमिका को प्रमुखता दी गयी है।
(ii) टकराव के स्थान पर बातचीत को बढ़ावा देने की बात की गयी है।
(iii) आसियान के विजन दस्तावेज 2020 के अन्तर्गत एक आसियान सुरक्षा समुदाय, एक आसियान आर्थिक समुदाय एवं आसियान सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय बनाने की संकल्पना की गयी है।
(iv) विज़न दस्तावेज 2020 के अन्तर्गत क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण, वित्तीय सहयोग एवं व्यापार उदारीकरण के विभिन्न उपायों पर बल दिया गया है।
अथवा
प्रश्न 14. 1970 के बाद चीनी अर्थव्यवस्था में आये परिवर्तनों पर टिप्पणी लिखिए।
नयी आर्थिक नीतियों के लाभकारी परिणाम– चीन में सन् 1970 के दशक के पश्चात् अपनायी गयी; नयी आर्थिक नीतियों के कारण चीनी अर्थव्यवस्था को अपनी गतिहीनता से उबरने में सहायता मिली। नई आर्थिक नीतियों के लाभकारी परिणाम निम्नलिखित हैं-
(i) कृषि उत्पादों एवं ग्रामीण आय में वृद्धि – चीन में सन् 1982 में कृषि के निजीकरण के पश्चात् कृषि उत्पादों एवं ग्रामीण आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बचतों की मात्रा में वृद्धि हुई; जिससे ग्रामीण उद्योगों की मात्रा में तीव्र गति से वृद्धि हुई ।
(ii) अर्थव्यवस्था की तीव्र वृद्धि दर – नई आर्थिक नीतियों के कारण उद्योग एवं कृषि दोनों ही क्षेत्रों में चीन की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर तीव्र रही।
(iii) विदेशी व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि – चीन में व्यापार के नये कानूनों एवं विशेष आर्थिक क्षेत्रों (स्पेशल इकानॉमिक जोन—SEZ) के निर्माण से विदेशी व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई ।
(iv) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश – नई आर्थिक नीतियों के कारण चीन सम्पूर्ण विश्व में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सबसे अधिक आकर्षक देश बनकर उभरा है।
(v) विदेशी मुद्रा का विशाल भण्डार – वर्तमान में चीन के पास विदेशी मुद्रा का विशाल भण्डार उपलब्ध है और इसी ताकत के आधार पर चीन दूसरे देशों में भी निवेश कर रहा है।
प्रश्न 15. भारत को सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य बनाने के पक्ष में विस्तार से तर्क दीजिए ।
अथवा
विश्व के राष्ट्रों को अन्तर्राष्ट्रीय संगठन क्यों चाहिए ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – आज भारत विश्व के प्रमुख शक्तिशाली देशों में गिना जाता है; अतः उसे सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता प्राप्त होनी चाहिए। इस तर्क के पीछे निम्न कारण हैं-
(1) भारत विश्व में सबसे बड़ी आबादी वाला दूसरा देश है।
(2) भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है।
(3) संयुक्त राष्ट्र संघ के शान्ति बहाल करने के प्रयासों में भारत लम्बे समय से ठोस भूमिका निभाता आ रहा है।
(4) भारत अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य पर एक बड़ी आर्थिक शक्ति बनकर उभर रहा है।
(5) भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में नियमित रूप से अपना योगदान दिया है और यह कभी भी अपने भुगतान से चूका नहीं है।
(6) भारत ने सदैव शीतयुद्ध और सैन्य गुटबन्दी आदि का विरोध किया है।
(7) भारतीय संस्कृति सदैव ही अहिंसा, शान्ति, सहयोग की समर्थक रही है; अतः भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाना चाहिए।
अथवा
प्रश्न 15. विश्व के राष्ट्रों को अन्तर्राष्ट्रीय संगठन क्यों चाहिए ? स्पष्ट कीजिए ।
निम्नलिखित कारणों से राष्ट्रों को अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों की आवश्यकता पड़ती है-
(i) अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं के शान्तिपूर्ण समाधान के लिए – दो या दो से अधिक देशों के मध्य उपजे हुए विवाद का शान्तिपूर्ण समाधान बातचीत द्वारा ही हो सकता है। बातचीत के माध्यम से ऐसे विवादों को बिना युद्ध के हल करने की दृष्टि से अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। समस्याओं के शान्तिपूर्ण समाधान में सदस्य देशों की ऐसे संगठन सहायता करते हैं।
(ii) चुनौतीपूर्ण समस्याओं के समाधान में विभिन्न देशों को मिलकर कार्य करने में सहायता करना – अन्तर्राष्ट्रीय संगठन ऐसी चुनौतीपूर्ण समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक होते हैं जिनसे निपटने के लिए विभिन्न देशों को मिलकर सहयोग करना आवश्यक होता है।
(iii) सहयोग करने के उपाय एवं सूचनाएँ जुटाने में सहायता करना– एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन नियमों एवं नौकरशाही की एक रूपरेखा दे सकता है ताकि सदस्यों को यह विश्वास हो कि आने वाली लागत में सभी की समुचित साझेदारी होगी, लाभ का बँटवारा न्यायोचित होगा और कोई सदस्य उस समझौते में सम्मिलित हो जाता है तो वह इस समझौते के नियम एवं शर्तों का पालन करेगा।
प्रश्न 16. ‘सोशलिस्ट पार्टी’ पर विस्तारपूर्वक लेख लिखिए ।
अथवा
UTS ‘भारतीय जनसंघ पार्टी’ पर विस्तारपूर्वक लेख लिखिए।
उत्तर – सोशलिस्ट पार्टी का गठन– सन् 1934 में कांग्रेस सोशलिस्ट पाटी का गठन हुआ था। इसमें कांग्रेस के समाजवादियों ने कांग्रेस से अलग होकर सोशलिस्ट पार्टी बनायी थी ।
सोशलिस्ट पार्टी के कई विभाजन हुए। इन दलों में किसान मजदूर प्रजा पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी तथा संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के नाम प्रमुख हैं। जयप्रकाश नारायण, अच्युत पटवर्धन, अशोक मेहता, आचार्य नरेन्द्र देव, राममनोहर लोहिया और एस. एम. जोशी प्रमुख सोशलिस्ट नेता थे ।
(1) सोशलिस्ट पार्टी बनाने के लिए मजबूर करने वाली परिस्थितियाँ-
कांग्रेस द्वारा 1948 में अपने संविधान में परिवर्तन किया गया ताकि कांग्रेस के सदस्य दोहरी सदस्यता न ले सकें। अतः कांग्रेस के समाजवादियों को 1948 में अलग होकर सोशलिस्ट पार्टी बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
(2) सोशलिस्ट पार्टी द्वारा कांग्रेस की आलोचना करने के दो आधार-
(i) सोशलिस्ट पार्टी का मत था कि कांग्रेस पूँजीपतियों तथा जमींदारों की हिमायत कर रही है तथा मजदूरों-किसानों की उपेक्षा कर रही है।
(ii) सोशलिस्ट पार्टी लोकतांत्रिक समाजवाद की विचारधारा में यकीन करती थी तथा कांग्रेस व साम्यवादी दलों से अपने को पृथक समझती थी।
अथवा
प्रश्न 16. UTS ‘भारतीय जनसंघ पार्टी’ पर विस्तारपूर्वक लेख लिखिए।
भारतीय जनसंघ का गठन– भारतीय जनसंघ की स्थापना 1951 में हुई थी। इसके संस्थापक अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी थे। इस पार्टी की जड़ें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और हिंदू महासभा से जुड़ी हैं, जो आजादी से पहले से ही सक्रिय थे। शुरुआती सालों में इस पार्टी को राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे हिंदी भाषी राज्यों के शहरी इलाकों में समर्थन मिला। जनसंघ के नेताओं में श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीन दयाल उपाध्याय और बलराज मधोक शामिल हैं। भारतीय जनता पार्टी की जड़ें इसी जनसंघ में हैं।
जनसंघ की विचारधारा–
(i) जनसंघ ने ‘एक देश, एक संस्कृति और एक राष्ट्र’ के विचार पर जोर दिया। इसका मानना था कि भारतीय संस्कृति और परंपरा के आधार पर ही देश आधुनिक, प्रगतिशील और शक्तिशाली बन सकता है।
(ii) जनसंघ ने भारत और पाकिस्तान को मिलाकर ‘अखंड भारत’ बनाने की बात की।
(iii) जनसंघ अंग्रेजी को हटाकर हिंदी को राजभाषा बनाने के पक्ष में था।
(iv) इसने धार्मिक और सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों को रियायतें देने का विरोध किया।
प्रश्न 17. ‘नक्सलवादी आंदोलन’ से आप क्या समझते हैं ? विस्तार से बताइये ।
अथवा
1975 में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करते हुए सरकार ने इसके क्या कारण बताए थे?
उत्तर – नक्सलवादी आंदोलन – नक्सलवाद शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के नक्सलवाड़ी गाँव से हुई है। इसे माओवाद भी कहा जाता है।
नक्सलवादी आंदोलन की शुरुआत 1967 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता चारु मजूमदार और कानू सान्याल ने सरकार के खिलाफ आंदोलन के रूप में की थी। 1969 में पहली बार मजूमदार और कानू सान्याल ने संथाल के जंगलों की भूमि अधिग्रहण को लेकर पूरे देश में सरकार के खिलाफ लड़ाई शुरू की थी।
इसका असर पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने के रूप में देखने को मिला। इस आंदोलन की बदौलत 1977 में पहली बार पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी। सामाजिक जागृति के लिए शुरू किया गया यह आंदोलन बढ़ते राजनीतिक वर्चस्व के चलते अपना मूल स्वरूप बदल चुका है। वर्तमान में यह जाति वर्गों की लड़ाई बन चुका है। अब यह उच्च वर्ग और मध्यम वर्ग के बीच भीषण संघर्ष का कारण बन चुका है। छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल वर्तमान में नक्सलवाद से प्रभावित प्रमुख राज्य हैं।
अथवा
प्रश्न 17. 1975 में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करते हुए सरकार ने इसके क्या कारण बताए थे?
राष्ट्रीय आपातकाल के प्रमुख कारण-
1. जनवरी 1974 में गुजरात के छात्रों ने खाद्यान्न, खाद्य तेल और अन्य आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों और उच्च पदों पर चल रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया। छात्र आंदोलन में प्रमुख राजनीतिक दल भी शामिल हो गए। इस आंदोलन ने विकराल रूप ले लिया। ऐसे में गुजरात में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। इस आंदोलन की बागडोर मोरारजी देसाई के हाथों में थी।
2. मार्च 1974 में बिहार में छात्रों ने बढ़ती महंगाई, खाद्यान्न की कमी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया। छात्रों ने जयप्रकाश नारायण को अपने आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए आमंत्रित किया। जेपी ने छात्रों के निमंत्रण को इस शर्त पर स्वीकार किया कि आंदोलन अहिंसक होगा और बिहार तक सीमित नहीं रहेगा। इस प्रकार छात्र आंदोलन ने एक राजनीतिक चरित्र और एक राष्ट्रव्यापी अपील ग्रहण की। अब सभी क्षेत्रों के लोग आंदोलन में शामिल हो गए। जयप्रकाश नारायण ने बिहार में कांग्रेस सरकार को बर्खास्त करने की मांग की। उन्होंने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया ताकि, उनके अपने शब्दों में, ‘सच्चा लोकतंत्र’ स्थापित किया जा सके।
3. रेलवे कर्मचारियों के संघर्ष के लिए राष्ट्रीय समन्वय समिति ने जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में रेलवे कर्मचारियों की देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया। सरकार इन मांगों के खिलाफ थी। ऐसे में भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के कर्मचारी मई 1974 में हड़ताल पर चले गए। रेलवे कर्मचारियों की हड़ताल ने श्रमिकों के असंतोष को और बढ़ा दिया।
4. 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जगमोहन लाल सिन्हा ने एक फैसला सुनाया। इस फैसले में उन्होंने इंदिरा गांधी के लोकसभा के लिए चुनाव को असंवैधानिक करार दिया। हाईकोर्ट के इस फैसले का मतलब था कि इंदिरा गांधी अब कानूनी तौर पर सांसद नहीं रहीं। 24 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस फैसले पर आंशिक रोक लगाते हुए कहा कि जब तक इस फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई नहीं हो जाती, इंदिरा गांधी सांसद बनी रहेंगी, लेकिन वह लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकतीं।
खण्ड – (द) Essay Question
Essay Question (निबन्धात्मक प्रश्न) (उत्तर सीमा लगभग 250 शब्द)
प्रश्न 18. शीत युद्ध के समय भारत और सोवियत संघ के सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
अथवा
सोवियत खेमे के विघटन के घटना चक्र पर एक लेख लिखिए ।
उत्तर – शीतयुद्ध के दौरान भारत और सोवियत संघ के सम्बन्ध बहुत गहरे थे। इससे आलोचकों को यह कहने का अवसर भी मिला कि भारत सोवियत गुट का एक अंग है। इस दौरान भारत- सोवियत संघ के सम्बन्ध बहुआयामी थे; जिन्हें निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है-
(i) आर्थिक सम्बन्ध – शीत युद्ध के दौरान, सोवियत संघ अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारत का सबसे बड़ा साझेदार था। जब भारत के पास विदेशी मुद्रा की कमी थी, तो सोवियत संघ ने रुपये को माध्यम बनाकर भारत के साथ व्यापार किया। सोवियत संघ ने भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की उस समय मदद की, जब ऐसी मदद मिलना मुश्किल था। सोवियत संघ ने भिलाई, बोकारो और विशाखापत्तनम में स्टील प्लांट और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स जैसे मशीनरी प्लांट को आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान की।
(ii) सैन्य सम्बन्ध – भारत अपनी आज़ादी के बाद से ही सैन्य उपकरणों के लिए सोवियत संघ पर बहुत ज़्यादा निर्भर रहा है। भारत सोवियत संघ से काफ़ी सैन्य उपकरण आयात करता था। सोवियत संघ ने भारत को उस समय सैन्य उपकरण मुहैया कराए, जब शायद ही कोई दूसरा देश भारत को अपनी सैन्य तकनीक देने को तैयार था। सोवियत संघ ने भारत के साथ कई ऐसे समझौते किए, जिनके ज़रिए भारत मिलकर सैन्य उपकरण बना सकता था।
(iii) राजनीतिक सम्बन्ध – भारत के सोवियत संघ के साथ घनिष्ठ राजनीतिक संबंध थे। वर्तमान में रूस के साथ उसके घनिष्ठ राजनीतिक संबंध हैं। सोवियत संघ ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दे पर भारत के रुख का समर्थन किया था। इसके अलावा 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान सोवियत संघ ने भारत की मदद की थी। भारत ने अप्रत्यक्ष लेकिन महत्वपूर्ण तरीके से सोवियत संघ की विदेश नीति का भी समर्थन किया है।
(iv) सांस्कृतिक सम्बन्ध – भारत और सोवियत संघ के बीच घनिष्ठ सांस्कृतिक संबंध थे। आज भी भारत के सोवियत संघ से अलग हुए सभी गणराज्यों के साथ सांस्कृतिक संबंध हैं। भारत में बनी हिंदी फिल्में और भारतीय संस्कृति सोवियत संघ में लोकप्रिय थी। इस दौरान भारतीय लेखकों और कलाकारों ने सोवियत संघ का दौरा किया।
अथवा
प्रश्न 18. सोवियत खेमे के विघटन के घटना चक्र पर एक लेख लिखिए।
विश्व की दूसरी महाशक्ति (सोवियत संघ ) सन् 1991 में अचानक बिखर गई और इसके साथ ही सोवियत संघ की साम्यवादी शासन व्यवस्था का अन्त हो गया। सोवियत संघ के विघटन के लिए निम्न प्रमुख कारण उत्तरदायी कहे जा सकते हैं-
(i) राजनीतिक-आर्थिक संस्थाओं की अन्दरूनी कमजोरियाँ – सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था कई वर्षों तक स्थिर रही। इससे उपभोक्ता वस्तुओं की व्यापक कमी हो गई और सोवियत संघ की एक बड़ी आबादी अपनी राजनीतिक व्यवस्था को संदेह की दृष्टि से देखने लगी। सोवियत संघ की राजनीतिक और आर्थिक संस्थाएँ भीतर से कमज़ोर हो गई थीं और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रही थीं। नतीजतन, यह स्थिति सोवियत संघ के पतन या विभाजन का कारण बनी।
(ii) संसाधनों का अधिकांश भाग परमाणु हथियार व सैन्य साजो–सामान पर खर्च करना – सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था में ठहराव के पीछे एक कारण यह भी स्पष्ट है कि सोवियत संघ ने अपने अधिकांश संसाधन परमाणु हथियारों और सैन्य उपकरणों पर खर्च किए। इसके साथ ही उसने अपने संसाधनों को पूर्वी यूरोप के अपने उपग्रह देशों के विकास पर भी खर्च किया ताकि वे सोवियत संघ के नियंत्रण में रहें। इससे सोवियत संघ पर गंभीर आर्थिक दबाव पड़ा, अर्थव्यवस्था का यही ठहराव आगे चलकर उसके विभाजन का कारण बना।
(iii) औद्योगीकरण के क्षेत्र में पिछड़ना – औद्योगीकरण के विरोध के कारण सोवियत संघ में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का विकास नहीं हो सका। देश कृषि के माध्यम से पश्चिमी देशों की तरह विकास नहीं कर सका। सोवियत संघ का पश्चिमी देशों से पिछड़ना लोगों को मनोवैज्ञानिक आघात पहुँचाता था, जो सोवियत संघ के विभाजन का कारण बना।
(iv) कम्युनिस्ट पार्टी का अंकुश – कम्युनिस्ट पार्टी ने 70 साल तक सोवियत संघ पर राज किया और यह पार्टी अब लोगों के प्रति जवाबदेह नहीं रही। एक ही पार्टी होने के कारण कम्युनिस्ट पार्टी के पास सभी संसाधनों पर कब्ज़ा था और लोगों के पास कोई विकल्प नहीं था। पार्टी के पदाधिकारियों को आम नागरिकों से ज़्यादा विशेषाधिकार प्राप्त थे। लोग खुद को राजनीतिक व्यवस्था और शासकों से जोड़ नहीं पा रहे थे और चुनाव का कोई विकल्प नहीं था। इसलिए सरकार के प्रति जनता का समर्थन धीरे-धीरे खत्म होने लगा; जो सोवियत संघ के पतन का कारण बना।
(v) गोर्बाचेव द्वारा किए गए सुधार एवं जनता को प्राप्त अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता – जब गोर्बाचेव ने सुधार लागू किए और व्यवस्था में ढील दी, तो लोगों की उम्मीदें और आकांक्षाएं इस तरह बढ़ गईं, जिसकी शायद ही किसी ने कल्पना की होगी और गोर्बाचेव की धीमी कार्यप्रणाली से जनता का धैर्य जवाब दे गया। धीरे-धीरे इस रस्साकशी में गोर्बाचेव का समर्थन हर तरफ से खत्म होने लगा। यहां तक कि जो लोग उनके साथ थे, वे भी उनसे मोहभंग हो गए।
(vi) राष्ट्रवादी भावनाओं और सम्प्रभुता की इच्छा का उभार – इस विद्रोह में सोवियत संघ के विभिन्न गणराज्य जैसे रूस और बाल्टिक गणराज्य (एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया), यूक्रेन और जॉर्जिया शामिल थे। राष्ट्रवाद और संप्रभुता की भावनाओं का विद्रोह सोवियत संघ के विघटन का अंतिम और सबसे तात्कालिक कारण साबित हुआ।
प्रश्न 19. वैश्वीकरण की आर्थिक परिणतियाँ क्या हुई हैं ? इस संदर्भ में वैश्वीकरण ने भारत पर कैसे प्रभाव डाला है ?
अथवा
वैश्वीकरण क्या है ? वैश्वीकरण के सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रभावों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर – वैश्वीकरण की आर्थिक परिणतियाँ – वैश्वीकरण एक बहुआयामी धारणा है, परन्तु इसके आर्थिक परिणाम सर्वाधिक व्यापक हैं। वैश्वीकरण के निम्नलिखित आर्थिक परिणतियाँ (प्रभाव) दृष्टिगोचर होती हैं-
(i) विश्व में आर्थिक नीतियों के निर्धारण में अब अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं; जैसे- विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व व्यापार संगठन के साथ-साथ अन्य समूह व संस्थाएँ, यथा बहुराष्ट्रीय निगम आदि शामिल होते हैं। पहले यह कार्य मुख्यतः अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा किया जाता था।
(ii) वैश्वीकरण के कारण दुनिया के देशों के मध्य आर्थिक प्रवाह तेज हो गए हैं। ये प्रवाह स्वैच्छिक भी हो सकते हैं, अथवा बाध्यकारी भी । इन प्रवाहों में विचार, पूँजी निवेश व व्यापार आदि सम्मिलित हैं।
(iii) देशों के मध्य व्यापार के पूँजी के प्रवाह में लगे पूर्व प्रतिबन्ध अब शिथिल हो गए हैं। उदाहरण के लिए; धनी देश अपनी पूँजी उन विकासशील देशों में लगा सकते हैं जहाँ उन्हें अधिक मुनाफा हो रहा है।
(iv) व्यापार व पूँजी प्रवाह की तुलना में देशों के मध्य व्यक्तियों का प्रवाह अब भी सीमित है। कई देश वीजा नीति में छूट देने के लिए तैयार नहीं हैं।
(v) वैश्वीकरण के कारण विभिन्न देशों में लगभग एक समान व्यापारिक व पूँजी निवेश नीतियों को अपनाया गया है। परन्तु विभिन्न देशों में इसका प्रभाव अलग-अलग हुआ है।
(vi) वैश्वीकरण के कारण राज्य व सरकारें आर्थिक क्षेत्र से अपनी जिम्मेदारी कम करते जा रहे हैं। इससे निजीकरण व उदारीकरण को बढ़ावा मिला है तथा सामाजिक व आर्थिक न्याय के क्षेत्र में राज्य की भूमिका कम हुई है।
(vii) वैश्वीकरण के कारण आर्थिक क्षेत्र में देशों के मध्य पारस्परिक निर्भरता बढ़ रही है।
वैश्वीकरण का भारत पर प्रभाव – स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही भारत बुनियादी वस्तुओं और कच्चे माल का निर्यातक तथा तैयार माल का आयातक रहा है। बाद में संरक्षणवादी नीति के तहत आर्थिक आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के प्रयास किए गए। 1991 के वित्तीय संकट ने भारत को अपनी संरक्षणवादी नीति पर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य किया।
परिणामस्वरूप वैश्वीकरण के अनुरूप व्यापार और विदेशी पूंजी निवेश के क्षेत्र में क्रमशः उदारीकरण और निजीकरण की नीतियां लागू की गईं। अनेक आर्थिक गतिविधियों को राज्य द्वारा निजी क्षेत्र को सौंप दिया गया या उनमें सरकार की भागीदारी कम कर दी गई। आर्थिक गतिविधियों में विदेशी पूंजी निवेश के लिए प्रतिबंधों को भी उदार बनाया गया।
भारत में भी वामपंथी लोग वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभावों के कारण अर्थव्यवस्था को विनियमित करने और नियंत्रित करने की सरकार की क्षमता में कमी की आलोचना कर रहे हैं। अन्य समूह भी राज्य पर प्रभावी आर्थिक और सामाजिक भूमिका निभाने के लिए दबाव डाल रहे हैं।
अथवा
प्रश्न 19. वैश्वीकरण क्या है ? वैश्वीकरण के सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रभावों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
वैश्वीकरण – वैश्वीकरण सांस्कृतिक एकरूपता लाता है। सांस्कृतिक एकरूपता की आड़ में विश्व संस्कृति के नाम पर पश्चिमी संस्कृति को बाकी दुनिया पर थोपा जा रहा है। दुनिया में राजनीतिक और आर्थिक रूप से हावी संस्कृति अपनी छाप कम शक्तिशाली समाजों पर छोड़ती है और दुनिया वैसी ही दिखाई देती है जैसी शक्तिशाली संस्कृति चाहती है। यही वजह है कि ब्लू जींस या बर्गर-मसाला डोसा की लोकप्रियता का अमेरिकी जीवनशैली के गहरे प्रभाव से गहरा संबंध है।
वे दुनिया के मैकडोनाल्डाइजेशन की ओर इशारा करते हैं। उनका मानना है कि विभिन्न संस्कृतियां अब खुद को हावी अमेरिकी पैटर्न पर ढाल रही हैं, जिससे पूरी दुनिया की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत धीरे-धीरे खत्म हो रही है। इसलिए यह सिर्फ गरीब देशों के लिए ही नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए खतरनाक हो सकता है।
आर्थिक वैश्वीकरण के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं-
(i) समृद्धि में वृद्धि – आर्थिक वैश्वीकरण के कारण समृद्धि बढ़ती है एवं खुलेपन के कारण अधिकाधिक जनसंख्या की खुशहाली बढ़ती है।
(ii) व्यापार में वृद्धि – आर्थिक वैश्वीकरण से व्यापार में वृद्धि होती है। वैश्विक स्तर पर व्यापार में वृद्धि से प्रत्येक देश को अपना अच्छा प्रदर्शन करने का अवसर मिलता है। इससे सम्पूर्ण विश्व को लाभ प्राप्त होगा।
(iii) आर्थिक वैश्वीकरण अपरिहार्य – आर्थिक वैश्वीकरण के समर्थकों का तर्क है कि आर्थिक वैश्वीकरण अपरिहार्य है तथा इतिहास की धारा को अवरुद्ध करना कोई बुद्धिमत्ता का कार्य नहीं है।
(iv) पारस्परिक जुड़ाव का बढ़ना – आर्थिक वैश्वीकरण से लोगों में पारस्परिक जुड़ाव बढ़ रहा है। पारस्परिक निर्धनता की गति अब तीव्र हो गयी है। वैश्वीकरण के फलस्वरूप विश्व के विभिन्न भागों में सरकार, व्यवसाय एवं लोगों के मध्य जुड़ाव बढ़ रहा है।
वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव निम्नलिखित हैं–
(i) वैश्वीकरण राज्य की क्षमता को कम करता है। कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पूरी दुनिया में पुरानी हो चुकी है और इसकी जगह न्यूनतम हस्तक्षेप वाले राज्य ने ले ली है। कल्याणकारी राज्य की जगह अब बाजार आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का मुख्य निर्धारक बन गया है। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ पूरी दुनिया में फैल चुकी हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रसार ने उनकी भूमिका बढ़ा दी है। इससे सरकारों की खुद फैसले लेने की क्षमता कम हो गई है।
(ii) वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप कुछ मायनों में राज्य की शक्ति बढ़ी है। अब राष्ट्र आधुनिक तकनीक के बल पर अपने नागरिकों के बारे में जानकारी जुटा सकते हैं और इस आधार पर राज्य बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं।
(iii) राजनीतिक समुदाय के आधार के रूप में राष्ट्र की प्रधानता को वैश्वीकरण से चुनौती नहीं मिली है।
प्रश्न 20. भारत के राजनैतिक मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
(i) उत्तर प्रदेश
(ii) मध्य प्रदेश
(iii) महाराष्ट्र
(iv) गुजरात
प्रश्न 21. भारत के राजनैतिक मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
(i) पंजाब
(ii) राजस्थान
(iii) असम
(iv) उड़ीसा
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